“ संस्कारों से सशक्त समाज, आध्यात्मिकता से समृद्ध भारत ”
नचिकेता गुरुकुल का विश्वास है कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं, बल्कि आत्मिक उत्थान और चरित्र निर्माण भी है । राष्ट्र तभी महान बनता है जब उसकी आत्मा, उसकी संस्कृति और उसकी आध्यात्मिक चेतना सशक्त हो । इसी दृष्टि से नचिकेता गुरुकुल ने आध्यात्मिक प्रकल्प की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत राजस्थान के गाँवों और बस्तियों में लगभग 500 से अधिक आध्यात्मिक केंद्र संचालित किए जा रहे हैं ।
इन केंद्रों की विशेषता यह है कि यहाँ समाज की मातृशक्ति अग्रणी भूमिका निभाती है । उनके मार्गदर्शन में प्रत्येक सप्ताह सत्संग, भजन-कीर्तन, योग एवं ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं । यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को भारतीय संस्कृति, जीवन-मूल्यों और नैतिक आदर्शों से जोड़ने का माध्यम हैं । यहाँ बालक-बालिकाओं से लेकर युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों तक सभी को जीवन की दिशा और दृष्टि प्रदान की जाती है ।
नचिकेता आध्यात्मिक प्रकल्प केवल पूजा-पाठ या अनुष्ठान का मंच नहीं है, बल्कि यह समाज-निर्माण का सशक्त आंदोलन है । यह प्रकल्प प्रत्येक पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़कर उन्हें संस्कार, सद्भाव और सकारात्मक जीवन-दृष्टि से सम्पन्न करता है । इसका उद्देश्य केवल वर्तमान को सजाना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना है जहाँ वे आध्यात्मिकता से समृद्ध और संस्कारों से सशक्त बन सकें ।
इस प्रकार नचिकेता आध्यात्मिक प्रकल्प समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाकर, आने वाली पीढ़ियों के लिए संस्कारों से भरपूर वातावरण तैयार कर रहा है ।